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लेखनी कहानी -22-Jul-2022 तेरे बिन

मुक्तक  


तेरे बिन एक पल भी अब जीना मुश्किल लगता है 
दिल की कश्ती का मुझको तू ही साहिल लगता है 
जिधर देखूं उधर तुम हो सांसों में निगाहों में तुम हो 
गर तू नहीं तो बहारों का मौसम भी बोझिल लगता है 

मेरी जिन्दगी में जब से तुम मेहमान बनकर आये हो 
ख्वाबों में खयालों में हसीन अरमान बन कर छाये हो 
बेरंग सी इस जिंदगी को प्यार के रंग से रंग दिया तुमने 
ऐसा लगता है कि जानम अब मेरे दिल में ही समाए हो 

विश्वास की इस डोर को कभी टूटने ना देना तुम 
हाथ पकड़ के मेरे रहनुमा साथ ना छोड़ देना तुम 
कैद करके रख लो हमको अपनी आंखों में सनम 
मेरे  हमदम मेरे साथी मेरे खुदा  मेरी जान हो तुम 

श्री हरि 
22.7.22 


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12 Comments

नंदिता राय

25-Jul-2022 04:28 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Shnaya

25-Jul-2022 03:35 PM

शानदार प्रस्तुति

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Reyaan

25-Jul-2022 03:18 PM

बहुत ही सुन्दर

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